लॉकडाउन फेज-2 के तीसरे दिन शुक्रवार को एम्स से कटघोरा की एक और महिला रोगी की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद छुट्टी दे दी गई। उसका लगातार दूसरा टेस्ट निगेटिव आया था। अब प्रदेश में 12 एक्टिव केस बचे हैं। जिनका एम्स में उपचार चल रहा है। सभी केस कटघोरा के ही हैं। इससे पहले गुरुवार देर रात तीन नए केस सामने आए थे।
वहीं राज्य सरकार ने 20 अप्रैल से हॉटस्पॉट क्षेत्र को छोड़कर आमजन से जुड़ी सेवाओं को शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी है। इन सेवाओं में पब्लिक यूटिलिटी की सर्विस, मनरेगा के काम, सभी माल परिवहन, सब्जी की दुकानें, कोरियर सेवाएं सहित जो केंद्र की ओर से प्रतिबंधित नहीं की गई हों शामिल हैं। हालांकि प्रदेश में पूर्व की तरह लॉकडाउन के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
एम्स के डॉक्टर्स को होटल ने निकाला
- रायपुर के टाटीबंध स्थित एक होटल ने बिल विवाद की वजह से एम्स के डॉक्टर्स को निकाल दिया। इस होटल को डॉक्टर्स के लिए क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया था। इनको एक दूसरे होटल में क्वारैंटाइन किया गया है। बाकी स्टाफ को एम्स के गेस्ट हाउस में क्वारैंटाइन पर भेजा है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर ने बताया कि होटल प्रबंधन ने यह फैसला बिल विवाद की वजह से लिया।
- जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के 19 डॉक्टर और बायोकेमेस्ट्री विभाग के 5 स्टाफ ने क्वारैंटाइन सेंटर में काम करने से इनकार कर दिया। इस संबंध में डीएमई (डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन) डॉ. एसएल आदिले को मेल भेजा है। मेकॉज के डीन यूएस पैंकरा ने सभी डाॅक्टर्स को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है।
छत्तीसगढ़ के हॉटस्पॉट कटघोरा से गुरुवार को तीन पॉजिटिव केस सामने आने के बाद प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 36 हो गई है। इनमें सबसे ज्यादा 27 केस अकेले कटघोरा के हैं। रायपुर के 5, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग और कोरबा में एक-एक मरीज मिले हैं।

बिलासपुर: ज्ञापन देने गए भाजपा नेता मास्क न पहनने पर फंसे, 1000 जुर्माना
आईटी सेल के लाला भाभा भाजपा नेताओं के साथ एडिशनल कलेक्टर के कक्ष में ज्ञापन देने पहुंचे थे। उन्होंने मास्क नहीं पहना था। शहर में मास्क नहीं पहनने पर यह पहली कार्रवाई थी, जिसके लिए सैनिटरी इंस्पेक्टर ने उन पर 1000 रुपए जुर्माना लगाया। वे कोरोना प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवियों और संगठनों पर लगाए प्रतिबंध को समाप्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन देने गए थे।
रायपुर: सिर्फ दवा दुकानें और कुछ पेट्रोल पंप खुले, बेवजह निकले लोगों को धूप में बिठाया
शहर में बीती शाम से ही 72 घंटों का सख्त लॉकडाउन लागू किया गया है। इसका असर शुक्रवार की सुबह सड़कों पर दिखा। पिछले कई दिनों से सड़कों पर नजर आने वाली भीड़ नहीं दिखी। खाना बांटने के नाम पर निकलने वाले भी नजर नहीं आए। जयस्तंभ चौक और संतोषी नगर इलाके में पेट्रोल पंप भी बंद रहे। पुलिस ने बेवजह बाहर निकले लोगों को रोका और धूप में काफी देर बिठाकर सजा दी। एवरग्रीन चौक के पास 10 से ज्यादा लोगों को ऐसे ही बिठाकर रखा गया। डीडीनगर इलाके में कुछ लोगों की गाड़ी को भी जब्त कर लिया। यह सख्ती 19 अप्रैल की शाम 5 बजे तक रहेगी।
कोरोना अपडेट्स
- बिलासपुर: सिम्स के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना संदिग्ध मरीजों की संख्या बढ़कर 3 हो गई। गुरुवार को एक और मरीज को संदेह होने पर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है। सभी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। अभी तक 396 सैंपल में से 367 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। उधर, शहर में 20 अप्रैल से किराना स्टोर दिनभर खुल सकते हैं। सिरगिट्टी की फैक्ट्रियों के चालू होने में संदेह है। मुख्यमंत्री की समीक्षा के बाद ही इस पर फैसला होगा।
- भिलाई: ट्विनसिटी के खुर्सीपार जोन-2 में में 31 मार्च तक एक पॉजीटिव मरीज मिलने के कारण हॉट स्पॉट माना जा रहा था। एम्स में उपचार के बाद वह संक्रमण मुक्त हो गया। फरीदनगर, हुडको, बीएसपी एरिया में सेक्टर-1, 4 व 6, 10, नेहरू नगर, स्मृतिनगर रिसाली और दुर्ग के पद्मनाभपुर में 350 से ज्यादा लोग विदेशों से लौटने के कारण ऑरेंज जोन माना जा रहा है। इन इलाकों में क्वारैंटाइन हुए सिर्फ 90 लोग ही रह गए हैं।
- रायगढ़: लॉकडाउन में सख्ती के बावजूद ओडिशा से 8 और नागपुर से 4 लोग शहर पहुंच गए। एमसीएच हॉस्पिटल लाए गए इन लोगों ने डाॅक्टर्स को चिंता में डाल दिया। डाॅक्टर्स ने कहा, इस तरह संक्रमित क्षेत्र से अचानक लोग अस्पताल आएंगे तो संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। 14 से 16 अप्रैल तक 50 लोग दूसरे राज्यों से जिले या शहर में घुसे हैं। 21 अप्रैल से कुछ छूट की उम्मीद से प्रशासन ने जिले की सीमाएं सील कराईं हैं।
कोरोना पॉजिटिव के जल्द ठीक होने पर एम्स ने कहा- यहां वायरस कमजोर
प्रदेश में ज्यादातर कोरोना पॉजिटिव एक सप्ताह के भीतर ही ठीक होकर घर चले गए। सबसे पहली कोरोना पॉजिटिव युवती का इलाज दो सप्ताह तक चला। लोगों के जल्दी ठीक होने की वजह क्या है, इसकी जानकारी रायपुर एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन नागरकर ने दी। उन्होंने कहा कि जो लोग जल्दी ठीक हुए वो युवा हैं, उनमें वायरस कमजोर था। जहां तक जल्दी ठीक होने वालों के फिर से संक्रमित होने की बात है, तो यह आशंका सही नहीं है क्योंकि देश के ज्यादा प्रभावित इलाकों में भी ऐसा केस कोई केस अब तक नहीं आया है।
फेफड़ों में इंफेक्शन नहीं
डॉ. नागरकर ने कहा कि यहां मरीजों में लक्षण कम थे, क्योंकि वायरल लोड कम था। ज्यादातर युवा थे। उन्हें कोई मल्टीपल बीमारी भी नहीं थी। अब तक प्रदेश में कोई भी मरीज गंभीर नहीं है। फेफड़े में इंफेक्शन नहीं मिल रहा है, जैसा यूरोपीय या अन्य देशों में हुआ, इस वजह से लोग जल्दी ठीक हो रहे। देश-विदेश में केवल 15 फीसदी मरीजों की मौत हो रही है। प्रदेश में यह जीरो है।